Importance of Wildlife Conservation Essay in Hindi: वन्यजीव संरक्षण का तात्पर्य प्रकृति द्वारा दिए गए उपहारों के संरक्षण से है. वन्यजीव से मतलब उन बेजुबां जानवरों और विभिन्न पौधों की प्रजातियों से है, जो पालतू एवं समझदार नहीं है। आपको बता दें कि World Wildlife Day (विश्व वन्यजीव दिवस) का पर्व सभी नागरिकों द्वारा 3rd March को मनाया जाता है. इस हिंदी ब्लॉग के ” Essay in Hindi “ की श्रंखला में ” Importance of Wildlife Conservation (वन्यजीव संरक्षण निबंध) “ को सम्मिलित किया गया है. जो कि छात्रों को प्रथम स्थान दिलाने में पूर्ण रूप से सक्षम है. इस निबंध को यहां बड़ी ही खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किया गया है.
Importance of Wildlife Conservation Essay in Hindi 200 Words
- प्रकृति में मौजूद पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित बनाए रखने की रखने के लिए वन्य जीव संरक्षण की आवश्यकता पड़ती है
- जंगलों पर लगभग 2 बिलियन से अधिक लोग निर्भर हैं
- Jeen pool की सुरक्षा के लिए वन्य जीव की आवश्यकता पड़ती है
- मानव शरीर के लिए आवश्यक फल, मेवे तथा औषधियों के लिए वन्य जीव संरक्षण नितांत आवश्यक है
- कार्बन भंडार के रूप में जंगल महासागर के बाद दूसरा स्थान रखते हैं
- मानव जीवन में इस्तेमाल होने वाली इमारती तथा जलाने वाली लकड़ी के लिए वन्य जीव संरक्षण भी अति आवश्यक होता है
- पर्यावरण के लिए वन्य जीव संरक्षण का पर्यावरण में गैसीय संतुलन बनाने के लिए बहुत ही आवश्यकता होती है
- पेड़ पौधों से पर्याप्त मात्रा में जल का वाष्पन होता है जो कि वर्षा के सूट के कार्य में अति आवश्यक है जो कि वर्षा का रूप लेकर बरसता है
- वायुमंडल में उपलब्ध प्राणवायु (Oxygen) भी पेड़ पेड़ पौधों के माध्यम से ही बनती है
- अगर रोजगार की बात करें तो जंगल लगभग 3 मिलियन से अधिक रोजगार प्रदान करते हैं
- प्रकृति में कभी-कभी अक्सर मृदा अपरदन एवं बाँध की समस्याएं आती रहती हैं जिनके नियंत्रण के लिए वन्य जीव संरक्षण अति आवश्यक होता है
- बढ़ता प्रदूषण
- बढ़ता प्रदूषण, तापमान
- वन्य जीव संरक्षण के माध्यम से वन्यजीवों को आश्रय भी प्रदान होता है
- जलवायु परिवर्तन
Importance of Wildlife Conservation Essay in Hindi 550 Words
अगर हम संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट माने तो पूरी दुनिया में जीवो की लगभग 10000 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है वन्य जीव संरक्षण नितांत आवश्यक हो गया है
वन्यजीवों के लुप्त होने के सामान्यता दो कारण ही सामने आते हैं
प्राकृतिक कारण
प्राकृतिक कारण कम हानिकारक होते हैं क्योंकि इनकी प्रक्रिया काफी धीमी होती है प्राकृतिक कारणोंको समझने के लिए हम डायनासोर का उदाहरण ले सकते हैं डायनासोर लगभग 700 करोड़ों वर्ष पहले हुआ करते थे जो कि प्राकृतिक कारणों के कारण लुप्त हो गए
मानवीय कारण
मानवीय कारण बहुत अधिक हानिकारक होते हैं मानवीय कारणों को समझने के लिए हम पक्षियों का उदाहरण ले लेते हैं- आज के समय में लगभग 120 पक्षी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है जिसका कारण मानव है
वन्यजीवों के विनाश के लिए कई मानवीय कारण हैं
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निवास स्थान की हानि
मानव अपने जीवन को सरल और समृद्ध बनाने के लिए निर्माण परियोजनाओं की आवश्यकता होती है जैसे- भव्य इमारतें, सड़कें, बांध इत्यादि. इन सभी परियोजनाओं को सफल बनाने के लिए मानव वनों की कटाई करते है. वनों की कटाई से अनगिनत जीव बेघर हो जाते है. जिससे जीव अपने लिए नए निवास स्थान की खोज करते हैं या फिर धीरे धीरे विलुप्त होने लगते हैं. जीवों के साथ साथ अनगिनत वनस्पति प्रजातियां नष्ट हो जाती हैं जो की मानव जीवन के लिए बहुत आवश्यक हैं.
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शिकार और अवैध शिकार
दिनों दिन देश की बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं की पूर्ति व बिकास के कारण पारिस्थितिकी-तन्त्र पर दबाव बढता जा रहा है और वनों की तेजी से कटाई की जा रही है वन्यजीवों की खाल, सींग, हड्डी, खुर, दाँत आदि का औषधीय एवं शृंगारिक महत्व एवं खाद्य पदार्थ के रूप में इनके मास के प्रयोग के कारण इनका बड़ी संख्या में शिकार किया जाता है देश में बड़े पैमाने पर मवेशियों को चराने के कारण मिट्टी के कटाव को बल मिलता है तथा कई वनस्पतियों का पुनर्जनन प्रभावित होता है ।
मनोरंजन के लिए जानवरों का शिकार करना या उनका अवैध तरह से शिकार का कार्य वास्तव में घिनौना है क्योंकि ऐसा करने का मतलब है अपने मनोरंजन और कुछ उत्पाद प्राप्त करने के आनंद के लिए जानवरों को फंसाना और उनकी हत्या करना। जानवरों के कुछ उत्पाद बेहद मूल्यवान हैं, उदाहरण के लिए, हाथी दांत, त्वचा, सींग, आदि। जानवरों को बंदी बनाने या उनका शिकार करने और उन्हें मारने के बाद उत्पाद हासिल किया जाता है। यह बड़े पैमाने पर वन्यजीवों के विलुप्त होने के लिए अग्रणी है, जिसका एक उदाहरण कस्तूरी हिरण है।
- अनुसंधान के लिए जानवरों का उपयोग करना – अनुसंधान संस्थानों की प्रयोगशाला में परीक्षण परिणामों के लिए कई जानवरों का चुनाव किया जाता है।
- प्रदूषण – पर्यावरण की स्थिति में अनावश्यक बदलाव जिसको परिणामस्वरूप हम प्रदूषित कह सकते है। और ऐसा ही वायु, जल, मृदा प्रदूषण के साथ भी है। लेकिन हवा, पानी, मिट्टी की गुणवत्ता में परिवर्तन की वजह से पशु और पौधों की प्रजातियों की संख्या में कमी होना काफी हद तक जिम्मेदार है।
- कीटनाशकों का प्रयोग- कृषि कार्यों में प्रयोग किए जाने वाले कीटनाशकों के दुष्परिणामस्वरूप मोर, बाज, चील, गौरेया जैसी प्रजातियाँ कम होती जा रही हैं । बाढ़, तूफान, आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं एवं पर्यावरण में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण भी वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट होते है और वे भारी संख्या में मारे जाते है ।
- जीन-रूपान्तरित बीजों के प्रयोग- आजकल जीन-रूपान्तरित बीजों के प्रयोग का प्रचलन बढता जा रहा है । इनसे उत्पन्न फसलों को खाकर वन्यजीव अपनी प्रजनन क्षमता खो देते हैं। मानवीय क्रियाकलापों के द्वारा पर्यावरण को हानि पहुँचाने के कारण भी वन्यजीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है ।
तमिलनाडु, गोवा, केरल, कर्नाटक, गुजरात व महाराष्ट्र के क्षेत्रों में फैली पश्चिमी घाटी पर्वत श्रृंखला संकटग्रस्त प्रजातियों हेतु विश्व का दूसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण आश्रय स्थल है।
Essay on Importance of Water in Hindi
Importance of Wildlife Conservation Essay in Hindi 300 Words
वन्यजीव संरक्षण में उन जानवरों एवं पौधों को रखा जाता है जो विलुप्त हो रहे हैं। जंगली जानवरों और पौधे प्रकृति के पारिस्थितिक तंत्र को संतुलन में रखने में बहुत ही अहम् भूमिका निभाते हैं।
- प्रोजेक्ट टाइगर : 1973
- मगरमच्छ संरक्षण परियोजना : 1975
- हंगुल परियोजना – वर्ष 1970
- गिर सिंह परियोजना – वर्ष 1973
- कछुआ संरक्षण योजना – वर्ष 1976 (ओडिशा)
- मणिपुर धामिन योजना – वर्ष 1977
- गैण्डा परियोजना – वर्ष 1987
- हाथी परियोजना – वर्ष 1992 (झारखण्ड)
- लाल पाण्डा परियोजना – वर्ष 1996
- गिद्ध संरक्षण परियोजना – डिक्लोफेनेक, नॉन-स्टेरॉएडल, एटी-इनफ्लेमेटरी दवाओं के कारण बड़ी संख्या में देश में गिद्धों की मृत्यु हो रही है। हरियाणा बन विभाग व बीएनएचएस के बीच गिद्धों के संरक्षण हेतु समझौता किया गया है।
वन्यजीव संरक्षण के प्रयास
भारतीय प्राणिविज्ञान सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में विलुप्तप्राय जीव हैं- चीता, लाल सिर वाली बतख, पहाड़ी कुआल.
डेनमार्क की आरहूस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा जारी एक रिपोर्ट (2014) बताती है, की हिमयुग में पाए जाने वाले कुछ जीव (विशाल हिरन, दांतेदार बिल्ली, बड़े आकार के कंगारू, तेंदुए के आकार वाले शेर) 1000 वर्ष पूर्व ही समाप्त हो गए. जबकि मनुष्यों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई. अतः कहा जा सकता है की इन जीवों की समाप्ति का मुख्य कारण मानव ही है, न कि जलवायु में आया हुआ परिवर्तन.
वनस्पति एवं जीवों के अंतराष्ट्रीय व्यापार का विनियमन
विलुप्तप्राय प्रजातियों के अंतराष्ट्रीय व्यापार का अभिसमय (CITES) पर 3 मार्च 1973 को वाशिंगटन डी. सी. में 179 देशों द्वारा समझौता हुआ. इस समझौते में 35 हजार से अधिक प्रजातियों हेतु अंतराष्ट्रीय व्यापार विनियमित किया गया. CITES के इस समझौते तथा लुप्तप्राय जीवों की प्रजातियों के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में मानाने की घोषणा की गई.
रेड डाटा बुक (Red Data Book)
हाल में जारी की गई IUCN Red List के अनुसार, वर्तमान समय में विद्यमान कुल 76 हजार प्रजातियों में से 21 हजार प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं ।
विश्व की संकटग्रस्त प्रजातियों को इण्टरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की रेड डाटा बुक में दर्ज किया जाता है।
Importance of Wildlife Conservation Essay in Hindi Words
पारिस्थितिकी विशेषज्ञ माधव गाडगिल की रिपोर्ट में बिना नियोजन के चलाई गई विकास परियोजनाओं को पश्चिमी घाट की जैव-विविधता के हास का कारण बताया गया है । अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट के अनुसार, भारत में वैश्विक रूप से संकटग्रस्त 413 जीव-जन्तुओं की प्रजातियाँ हैं, जो विश्व की कुल संकटग्रस्त प्रजातियों का लगभग 5% है।
जैव विविधता के मामले में विश्व के सर्वाधिक सम्पन्न देशों में भारत का स्थान 12वां है। संपूर्ण विश्व में पायी जाने वाली लगभग 130 लाख वन्य प्रजातियों में से लगभग 75000 प्रजातियां भारत में पायी जाती हैं। प्राकृतिक संसाधनों एवं भौगोलिक विविधता के मामले में भी भारत अतिसम्पन्न देशों में एक है। 14 जैवमंडलीय क्षेत्रों में विभाजित भारत के लगभग 33 लाख वर्ग किनी. क्षेत्र में एक अरब से अधिक जनसंख्या निवास करती है।
7516 किमी. लम्बी समुद्र तटीय जलवायु सहित भारत में 14 प्रकार के वन पाये जाते हैं। भारत में बनों का क्षेत्रफल लगभग 6.50 लाख वर्ग किमी है। विशालकाय झीलों, नदियों, हिमालय जैसी पर्वत श्रृंखलाओं, रेगिस्तान, दलदली भूमि तथा द्वीप समूहों के कारण भारत में वनस्पति एवं वन्य जीवों की उपलब्धता अपार है। विश्व के 7 प्रतिशत पेड़-पौधे तथा 6.5 प्रतिशत जीव जन्तु भारत में निवास करते हैं जबकि भारत का भूभाग संपूर्ण विश्व के भूभाग का मात्र 2 प्रतिशत ही है।
भारत में कुल 30 राष्ट्रीय उद्यान हैं जो भारत के कुल भूभाग के 1 प्रतिशत क्षेत्र में विस्तृत हैं। इसी प्रकार भारत में 441 अभयारण्य हैं जो कुल क्षेत्रफल के 3.5 प्रतिशत क्षेत्र में विस्तृत हैं आधुनिक काल में 17वीं शताब्दी से लेकर अब तक स्तनधारियों की लगभग 120 तथा पक्षियों की लगभग 225 प्रजातियं विलुप्त हो चुकी हैं।
भारतीय संविधान के भाग 4 के अनुच्छेद 48(क) में राज्य को पर्यावरण के संरक्षण तथा वन्य जीवों की रक्षा करने का निर्देश दिया गया है। इसी प्रकार अनुच्छेद 51(क)छ) में वन्य जीव की रक्षा करना भारतीय नागरिक का मूल कर्तव्य बताया गया है। भारत में वन्य जीव संरक्षण की दिशा में पहली बार सरकारी स्तर पर 1952 में विचार किया गया। 1952 में 1894 से चली आ रही बन नीति के संशोधन के समय भारत की दुर्लभ वन्य जीव प्रजातियों की सूची तैयार की गयी। इस सूची में 13 वन्य जीव प्रजातियों को दुर्लभ बताया गया था।
1960 में पशुओं पर अत्याचार की रोकथाम के लिए कानून बनाया गया तथा पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन एक पशु विकास बोर्ड का गठन किया गया। वन्य जीव संरक्षण की दिश में सरकारी स्तर पर शुरुआत 1972 में भारतीय वन्य प्राणी (संरक्षण) अधिनिया (Indian Wildlife Protection Act) के साथ इस अधिनियम में देश के दुर्लभ तथा संकटग्रस्त वन्य जीवों की सूचि बनाकर उन्हें कानूनी रूप में संरक्षित घोषित किया गया
अक्टूबर, 1991 को इस अधिनियम में संशोधन कर अधिनियम का उल्लंघन करनेवालों को सीधे अभियोजित करने क प्रवचन है किया गया। अधिनियम की धारा के अनुसार अधिनियम के सूची संख्या से 4 तक में उल्लिखित वन्य जीवों के शिकार के अवैध ठहराया गया त्या दोषी व्यक्ति को कठोर सज देने प्रावधान रखा गया। इसके साथ ही वर्ष 2006 में 1972 के अधिनियम में संशोधन कर केन्द्र सरकार को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के गठन का अधिकार दिया गया।
भारत में बन्य जीव संरक्षण की दिशा में पहली परियोजना 1970 में भारतीय वन्य प्राणी बोर्ड द्वारा बाघ परियोजना के नाम से शुरू की गयी थी। वर्तमान में इस परियोजना के अंतर्गत देश 17 राज्यों में कुल 29 बाघ अभयारण्यों की स्थापना की है।
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