Essay on Forest Conservation in Hindi Language: वन प्रकृति का आधार हैं। वर्तमान में लगभग विश्व का कुल वन क्षेत्र कुल भूमि का लगभग 31% है। प्रकृति में जैव विविधता को संतुलित रखने में वनों की बहुत बढ़ी भूमिका रहती है। यही नहीं वनों पर सम्पूर्ण मानव जीवन निर्भर रहता है।
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इस हिंदी ब्लॉग के “Essay in Hindi” की श्रंखला में “वन संरक्षण पर निबंध“ को सम्मिलित किया गया है।
Essay on Forest Conservation in Hindi Language
(Essay on Forest in Hindi)
प्रस्तावना
वनों का शाब्दिक अर्थ विभिन्न प्रकार के पेड़ों, झाड़ियों, और पौधों के विशाल समूह से है। ये वन प्रकृति में पारिस्थितिक तंत्र का सर्वाधिक महत्ववपूर्ण अंग हैं। वन वातावरण को शुद्ध करने और वाटरशेड की रक्षा करने में, प्रकृति की जलवायु को संतुलित बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। मृदा अपरदन को रोकने में, इमरती लकड़ी के उत्पादन में, तथा अनेक बहुमूल्य औषधियों के उत्पादन में वनों का सर्वाधिक योगदान रहता है।
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Slogans on Forest Conservation in Hindi
“वन प्रकृति का गहना है, इनका दोहन नहीं सहना है।”
“हैं जीवन की सच्चाई वन, याद रखो तुम ये हर पल।”
“जागो हे तुम इंसान, वन सम्पदा पर अब दो ध्यान।”
“कहीं बीमारी से घिर न जाओ वन सम्पदा उजाड़ कर, हे मानव वृक्ष लगाने का तू अब प्रण कर।”
“बिना वनों के प्रकृति कैसी, बिना प्राणवायु के जीवन जैसी।”
“आओ पृकृति का सम्मान करें, एक एक पेड़ लगाने का हम प्रण करें।”
“पेड़ काटने से पहले सोच जरा तू इंसान, बिना प्रकृति के क्या जी पायेगा तू इंसान।”
वनों के प्रकार
सामान्यतः वन को मिटटी, जीवों की प्रजातियों, तथा जलवायु के आधार पर कई वर्गों में बांटा जाता है।
उष्ण कटिबंधीय वन: इस तरह के वन भूमध्य रेखा के पास पाए जाते हैं। वर्ष भर बहुत अधिक वर्षा होने से सामान्यतः यहाँ सदाबहार पेड़ होते हैं। अन्य प्रकार के वनों की तुलना में ये वन की अपेक्षा अधिक सघन और घने होते हैं।
उप – उष्ण कटिबंधीय वन: इस प्रकार के वनों की स्थिति उष्ण कटिबंधीय वनों के उत्तर और दक्षिण दिशा में होती है। सामान्यतः ये वन सूखे ही रहते हैं।
पर्णपाती वन: पर्णपाती वनों से प्रत्येक वर्ष पत्ते गिरते हैं। ये वन उस जलवायु में होते हैं जहाँ हलकी सर्दियाँ और गर्मियां पड़ती हैं। इन वनों में पाए जाने वाले पेड़ हैं:- ओक, चेस्टनट, वॉलनट, इत्यादि। सामान्यतः ये वन नूज़ीलैण्ड, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, एशिया, और ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं।
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वन संसाधन की वैश्विक स्थिति
विश्व का कुल वन क्षेत्र कुल भूमि का लगभग 31% है। वन सम्पदा के क्षेत्र में विश्व के 5 शीर्ष देश हैं:- रूस, ब्राज़ील, कनाडा, अमेरिका, चीन। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 के अनुसार देश के भौगोलिक क्षेत्र में कुल वन और वृक्ष आच्छादित क्षेत्र 24.56% है।
भारत के सर्वाधिक वन संसाधन वाले राज्य हैं:- मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र। 1988 में राष्ट्रीय वन नीति में देश में 33% भौगोलिक क्षेत्र को वन एवं वृक्ष आच्छादित क्षेत्र रखने की बात कही गई है।
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वनों का महत्व (Essay on Forest Conservation in Hindi Language)
वनों का पारिस्थितिक तंत्र में एक महत्वपूर्ण हिस्सा होने से बहुत अधिक महत्व रहा है।
- प्रकृति को संतुलित करने में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
- वन प्राणियों के लिए प्राणवायु को उत्सर्जित करते हैं।
- वनों से विभिन्न प्रकार की मानव उपयोगी औषधियां, फल, फूल, जड़ी बूटियां प्राप्त होती हैं।
- मृदा अपरदन और पहाड़ों के क्षरण को रोकने के में वनों का योगदान अग्रणीय है।
- वन विशाल नदियों के बहाव और उनकी गतिशीलता को नियंत्रित करते हैं।
- वन विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों प्राणियों के लिए एक प्रमुख निवास स्थान है।
- वनों से मानव उपयोगी इमारती लकड़ी प्राप्त होती है।
- मानव के लिए ईंधन की आवश्यकता की पूर्ति करने में वनों का अहम् योगदान रहता है।
- घने जंगलों के वजह से अनेक जीव जंतुओं की प्रजातियां सुरक्षित रहती हैं।
- वन वायुमंडल की ग्रीन हाउस गैसों को अवशोषित कर वातावरण को हानि पहुँचाने से रोकते हैं।
- वन वायुमंडल में ऑक्सीज़न को उत्सर्जित करते हैं, जो की प्राणवायु के नाम से जानी जाती है।
- वन वायुमंडल में उपस्थित CO2 को अवशोषित करते हैं।
- वनों द्वारा ही नदियों और झीलों का पानी सूखने से बचता हैं।
- मानव जीवन की अप्रत्यक्ष आजीविका के लिए वन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
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वनों से लाभ (Essay on Forest Conservation in Hindi Language)
मानव जीवन में वनों से अनेक लाभ प्राचीन काल से ही रहे हैं। ये लाभ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष होते हैं।
प्रत्यक्ष लाभ: अगर वनों के प्रत्यक्ष लाभों की बात करें तो ये निम्न हैं:- मानव जाती वनों से भोजन, वस्त्र और घर बनाने सम्बन्धी विभिन्न लाभ उठाते रहे हैं। भोजन को पकने के लिए लकड़ी की कटाई करते रहे हैं। वनों से मानव प्राचीन काल से ही मीठे मीठे फल, जड़ी बूटियां, प्राप्त करते रहे हैं। वनों से प्राप्त कच्चे माल को मानव अपने औधोगिक धंधों में उपयोग करते हैं। जैसे:- रबर, लाख, गोंद, कागज, दियासलाई, इत्यादि।
अप्रत्यक्ष लाभ: वन जीवों की सच्चे मित्र की भांति रक्षा करते हैं। स्वयं वातावण की CO2 और अन्य जहरीली गैसों को अवशोषित कर प्राणदायक वायु को देते हैं। पेड़ों के माध्यम से वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया से बादल बनते हैं, जो ठन्डे होकर वर्षा करते हैं। यही नहीं, वायुमंडल के प्रदुषण को भी वन और पेड़ – पौधे कम करते हैं।
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वनों की कटाई की समस्या
वन प्राचीन काल से ही मानवों और जीवित प्राणियों के लिए सच्चे मित्र रहे हैं। बजाये इसके, आज मानव अपने निजी स्वार्थ के लिए इन्हें उजाड़ रहा है। वनों की कटाई से विभिन्न प्रकार के निजी स्वार्थ को मानव पूरा कर रहा है। जैसे:- इमारती लकड़ी के लिए, फर्नीचर के लिए, इत्यादि। इन वनों की कटाई से प्राप्त कच्चे माल को औधोगिक क्षेत्र में भी प्रयोग किया जाता है। जैसे:- दियासलाई, कागज उद्योग।
एक रिपोर्ट के अनुसार, आज वनों की संख्या प्राचीन काल से भी आधी हो गई है। दिन व् दिन जनसँख्या बढ़ने से वनों की अंधाधुंध कटाई बढ़ रही है। क्यूंकि उदरपूर्ति की समस्या से बचने के लिए मानव इन वनों को काटे जा रहा है। वनों को काटकर कृषि के लिए भूमि की व्यवस्था की जा रही है।
निष्कर्ष (Essay on Forest Conservation in Hindi Language)
अगर इसी तरह से वनों की कटाई होती रही, तो सम्पूर्ण मानव जाती और प्रकृति संकट में पड़ जाएगी। इनके काटने से अनेक समस्याएं विकराल रूप लेकर सामने आएँगी। जैसे – विभिन्न प्रकार की घातक बीमारियां, मृदा अपरदन, जल चक्र का विघटन, जैव विविधता का नुकसान, जलवायु परिवर्तन पर नकारात्मक प्रभाव, इत्यादि। अगर हम प्रकृति में संतुलन की बात करें तो एक स्वस्थ पर्यावरण बनाये रखने में 33% भूमि पर वनों का होना अति आवश्यक है।